जारी है मेरी कलम से स्याही का रिसना…..
बस तुम दर्द देने का सिलसिला बरकरार रखना !
Sub Categories
जिंदगी भी अजीब है जैसे जैसे कम हो रही है
वैसे वैसे ज्यादा पसंद आती जा रही है…!!
तुम्हे क्या पता किस “दर्द” मे हूँ मैं !
जो कभी लिया ही नही,उस “कर्ज़” मे हूँ मैं
शायद मुझे सुकून तेरे पास ही मिले…
मुझको गले लगा बहुत बेक़रार हूँ……..
“क्या लिखूँ अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तो,
वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुआ करते थे !!”
हजार टुकड़े कर दिए उसने मेरे दिल के।।।
फिर वो खुद रो पड़ी,,हर टुकड़े पर अपना नाम देख कर।।
मुझे छोड़ कर जिसके करीब गये हो तुम….
सुना है उससे… तुम हर बात पर मेरी मिसाल देते हो….
यकीन नहीं होता फिर भी कर लेता हूँ…!!!
.
.
जहाँ इतने हुए..एक और फरेब हो जाने दो…!!!
जिंदगी मैं कितना भी समेट लो..
मगर हाथों से फिसलता ज़रूर है..
ये वक्त है साहब..
एक ना एक बदलता तो ज़रूर है..
नसीहत देता हूँ इसका मतलब ये नही…..
मैं समझदार हुँ….
बस हमने गलतिया आपसे ज्यादा की है।