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कहता है वो जनता की भीड़ है।
सही तो है, यही तो भीड़ है।
उस भीड़ का तू भी हिस्सा है
जिंदगी का बस यही तो किस्सा है।



बैठा हो जो दिल मे, वो यार होता है
बिना मांगे दी मदद, वो रिश्तेदार होता है।

आएगा धन, वो तेरी भूल है
आएगा जो, वही तो संसार है।

लिखा था जनता का, जनता को, जनता के लिये, संविधान में।

पर आज लुट रही, जनता, जनता से, जनता के लिये हमारे विधान में।

थोड़ी सी उम्र में हमने, घूम जनाज़ा देखा।
ऊपर से तो मीठी बोली, नस नस में बेईमाना देखा।


अच्छा, बुरा और बुरा, अच्छा लगने लगता है। पहले देखेगा कौन?
बदल तो सही अपना द्रष्टिकोण।
सोचेगा कौन? जो रहेगा मौन।

एक व्यक्ति मंदिर के बाहर रखी चप्पलों को चूम चूम कर रो रहा था,
और बोल रहा था प्रभु आप तो यहां हो, लोग आपको मन्दिर में याद कर रहे हैं।


Humans create something from something already created by God.
Nothing can be created if nothing was created by God.