*उर्दू की खूबसूरती*

*बेगम साहिबा* : क्या कर रहे हो ?

*नवाब साहब* : इज़्जत की डोर को, उलझनों की जकड़ और कश़मकश से आज़ाद कर रहा हूं …

*बेगम* : मतलब ???

*नवाब साहब* : पाजामे के नाड़े में गांठ पड़ गई है, खोल रहा हूँ .


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