हम सादगी में झुक क्या गए ,
तुमने तो हमे गिरा हुआ ही समझ लिया
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जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने
लोग तो तब याद करते हैं जुब वह खुद अकेले हों
जब जरुरत के समय काम आने वाला पैसा बदल सकता है ….
तो तू क्या चीज है…
अगर मेरी माँ और उसकी होने वाली बहू मेरे साथ है,
तो इस कमबख्त दुनिया की मेरे सामने क्या औकात है
रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी …
जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी ..
अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं..
उनके हाथ पकड़ने की मजबूती जब ढीली हुई तो
एहसास हुआ शायद ये वही जगह है जहां रास्ते बदलने है …
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना …
बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना
किसी को प्यार करो तो इतना करों की उसे जब भी प्यार मिलें…
तो तुम याद आओ….
कैसे करूँ मैं साबित…कि तुम याद बहुत आते हो…
एहसास तुम समझते नही…और अदाएं हमे आती नहीं…