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ये भी एक तमाशा है, इश्क और मोहब्बत में
दिल किसी का होता है और बस किसी का चलता है.



भुलने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता,..
मैंने नहीं मेरे दिल ने चुना है तुम्हे

गुनाह यार ए मोहब्बत हुआ है मुझसे…!!!
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गुजारिश है कोई मेरे दिल को फांसी दे दो…!!!

तेरे चेहरे पे ये शिकन हमें मंजूर नही…!!!
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सुनों तुम खुश रहा करो मैं रहूँ न रहूँ…!!


अजीब है इन्सान की शख़्सियत यारों,
हवस ख़ुद की उठती है “तवायफ़” उसे बोलता है…

नदी बहती थी मौहब्बत की हम दोनो के दरमिंया….
तुम तैर कर बाहर आ गये…और हम आज तक उसमें डूबे हैं


*न जाने कैसी “नज़र” लगी है “ज़माने” की…*
कमब्खत *”वजह”* ही नही मिलती *”मुस्कुराने”* की.


ख्त्म कर दी थी…. जिन्दगी की ……हर खुशियाँ ….तुम पर,….*
*कभी फुर्सत मिले …..तो सोचना …..मोहब्बत किसने की थी……*

दिल पे लगे वैसे तो घाव बहुत है
एक तेरा बिछड़ना खामोश कर गया….

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,
पहले पागल किया, फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया.