एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी मॆं..
ऊँचाई में हो तब तक ही वाह-वाह होती हैं!!
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आज भी प्यारी है मुझे तेरी हर निशानी ..
फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखो का पानी।
आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
Saraha hai hmne tujhe apni sarakho pe;
Manga hai hmne tujhe apni hr dUa o mein*………
हज़ारो मैं मुझे सिर्फ़ एक वो शख्स चाहिये जो
मेरी ग़ैर मौजूदगी मैं मेरी बुराई ना सुन सके !!
हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम..
दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है !!
मोहब्बत यूँ ही किसी से हुआ नहीं करती….
अपना वजूद भूलाना पडता हैकिसी को अपना बनाने के लिए…।
बंध जाता है जब किसी से जब रूह का बंधन,
तो इज़हार-ऐ-मोहब्बत को “अल्फ़ाज़ों” की ज़रूरत नहीं होती.
कितने अंदाज से किया “नजर अंदाज” उसने,
ऐ खुदा” उसके इस अंदाज को “नज़र” ना लगे.