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तुम्हारी ज़िद बेमानी है दिल ने हार कब मानी है
कर ही लेगा वश में तुम्हें आदत इसकी पुरानी है.



रात हुई जब शाम के बाद! तेरी याद आई हर बात के बाद!
हमने खामोश रहकर भी देखा! तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!

Ek Lamhey Mei’n Simat Aya Sadiyon Ka Safar,
Zindagi Tez, Boht Tez Chali Ho Jaisey ..

लब ये कहते हैं कि चलो अब मुस्कुराया जाये,
सोचती हैं आखे, दिल से दगा कैसे किया जाये?


इतनी बेरुखी ना करो कुछ तो रहम करो,

तुम पर मरते हैँ तो क्या मार ही डालोगे…

तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये..
मै किससे पूछूँ मेरी खता क्या है..


न जाने कैसी दिल्लगी थी उस बेवफा से,

के मैंने आखिरी ख्वाहिश में भी उसकी वफ़ा मांगी…


बादलों से कह दो अब इतना भी ना बरसें,
गर मुझे उनकी याद आ गई, तो मुकाबला बराबरी का होगा…

हम पर जो गुजरी है, तुम क्या सुन पाओगे,
नाजुक सा दिल रखते हो, रोने लग जाओगे !

तलब करे तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें देदू,
मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब मांगते हैं.