Log Doosro ki Burayiya Chupana Nahi Chahte
Aur Apni Dikhana
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Beet Jaati Hai Jis Ki Puri Raat Siskiyon Mein,
Wo Shaqs Din Ke Ujaalon Mein Saare Jahan Ko Hasata Phirta Hai..
kuch Is Qadar Bhi To Aasan Nahi Hai IshQ Tera,
Ye Zeher Dil Mein Utar Kar Hi Raas Aata Hai,
Darta hoon kehne se ke mohabbat hai tumse,
Meri zindagi badal de ga, tera iqrar bhi, inkaar bhi
जरूरी नही हर ख्वाब पूरा हो…
सोचा तो उसे ही जाता है जो अधूरा हो….”
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना।
नफ़रत बता रही है, तूने महोब्बत् गजब की थी।।
: एक वक़्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक़्त आएगा , ….
और एक ये वक़्त है कि हम सोचते हैं कि वो भी क्या वक़्त था…….
हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन,
तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नहीं होता…
छोड़ तो सकता हूँ मगर छोड़ नहीं पाता उसे,
वो शख्स मेरी बिगड़ी हुई आदत की तरह है.. …
निगाहों से भी चोट लगती है
जब हमें कोई देखकर भी अनदेखा कर देतें हैं !!