मेरी बरबादियों में तेरा हाथ है मगर…….
में सबसे कह रहा हूँ ये मुकद्दर की बात है…
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रखते थे जो मरने कि बात पे मेरे होठों पे उगंलीया
अफसोस वही मेरे कातिल निकले
तु मिले या न मिले ये मेरे मुकद्दर की बात है..
”सुकुन” बहुत मिलता है तुझे अपना सोचकर
वक़्त भी लेता है करवटे ना जाने क्या क्या …
उमर इतनी तो नही थी जितने सबक सीख लिये हमने
मेरा कुछ ना ऊखाड सकोगे तुम मुझसे दुश्मनी करके….
मुझे बर्बाद करना चाहते हो तो,मुझसे मोहब्बत कर लो
मुझे मालूम था कि वो रास्ते कभी मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे ..
फिर भीमैं चलता रहा क्यूँ कि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे
खेलने दो उन्हें जब तक जी न भर जाए उनका.,…,
मोहब्बत 4 दिन की थी तो शौक कितने दिन का होगा…….?
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है।
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है।
वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।
तेवर तो हम वक्त आने पर दिखायेँगेँ..
शहर तुम खरीद लो हूकूमत हम चलायेँगेँ