Ek Baar Dard_e_Dil khatam kar Dey…….
Ay Mohobaat
Halaf dety HAin Dobara Muhabbat Nahi karain Gay,,,
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यही सोच कर उसकी हर बात को सच मानते थे,
के इतने खुबसूरत होंठ झूठ कैसे बोलेंगे.
तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की.
हम तो बेवजह खुद को खुशनसीब समझने लगे
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे.
अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा …!!
क़े तुम वक़्त गुज़ारो और, हम प्यार समझें,
मुझे मालूम है कि ये ख़्वाब झूठे हैं और ख़्वाहिशे अधूरी हैं …
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ ऐसी ग़लतफ़हमियाँ जरूरी हैं
मोह्ह्ब्ब्त की कहानी को मुकम्म्ल नही कर पाये…
अधूरा था जो किस्सा अधूरा ही छोड आये
अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया ..
तेरा प्यार चाहिये था, एहसान नही
वो ना ही मिलते तो अच्छा था…
बेकार में मोह्हबत से नफ़रत हो गयी
पत्थर भी मारोगे तो भर लेंगे झोली अपनी …
हम यारो के तोहफ़े कभी ठुकराया नही करते