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इक बात बेखौफ मुझसे कहता है आईना ,
कभी आदमी अच्छे हुआ करते थे तुम भी …..



इतना सितम से पहले सोचा भी नहीं उसने,
मैं सिर्फ दीवाना नहीं.. इंसान भी था

बहुत भीड़ हो गयी है तेरे दिल में,
अच्छा हुआ हम वक़्त पर निकल गए

हजारों अश्क़ मेरी आँखों की हिरासत में थे,
फिर उसकी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई


बहुत दिन हो गए ‘मुहब्बत’ लफ्ज़ सुन सुनकर मुझे….
कल ‘बेवफ़ा’ सुना तो तरी बहुत याद आई मुझे….

ना कर शक मेरी मोहब्बत पर ऐ पगली…. .
अगर सबूत देने पर आया तो तू बदना हो जायेगी…


सिर्फ दिल का हक़दार बनाया था तुम्हें……
हद हो गयी तुमने तो जान भी ले ली..


बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने मुझे,
अब ना किसी को खोने का डर, ना पाने की चाहत।

मैं रोज अपने खून का दिया जलाऊँगा,
ऐ इश्क तू एक बार अपनी मजार तो बता

अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दो,
कोई शिकायत होगी भी तो कह नहीं पाउँगा..!!