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बुरे में अच्छा ढूंढोतो कोई बात बने..
अच्छे में बुराई ढूंढना
तो दुनिया का रिवाज है।”



जिंदगी मैं कितना भी समेट लो..
मगर हाथों से फिसलता ज़रूर है..
ये वक्त है साहब..
एक ना एक बदलता तो ज़रूर है..

हा में गरीब हूं
*शुक्र है कि मौत सबको आती है*
*वरना अमीर तो इस बात का भी मजाक उड़ाते*
*कि गरीब था इसलिए मर गया…!!*

जीवन के नियम भी ‘कबड्डी के खेल’ जैसे हैं
सफलता की लाइन टच करते ही
लोग आपकी ‘टाँग खींचने’ लग जाते हैं


किसी को बुरा मत कहो
किसी की चुगली मत करो
किसी आचछे ईंसान के बारे
मे गलत मत बोलो
जो लोग आचछे होते
है वो किसी की भी बुराई नही करते है

जो दूसरों को इज़्ज़त देता है,
वो खुद इज़्ज़तदार होता है
क्योकि इंसान दूसरो को वही दे पाता है
जो उसके पास होता है


गलतफहमियों के सिलसिले
इतने दिलचस्प हैं,

हर ईंट सोचती है, दीवार
मुझ पर टिकी है !!


अगर इंसान*
*शिक्षा के पहले संस्कार*
*व्यापार से पहले व्यवहार*
*भगवान से पहले*
*माता पिता को पहचान ले तो*
*जिन्दगी में*
*कभी कोई कठिनाई नहीं आयेगी* T. N

बच्चे झगड़ रहे थे मोहल्ले के जाने किस बात पर …
सूकून इस बात का था न मंदिर का ज़िक्र था न मस्जिद का .

ਕੋਸ਼ਿਸ ਕਰੋ ਕਿ,
ਜਿੰਦਗੀ ਦਾ ਹਰ ਪਲ ਵਧੀਆ 👌ਗੁਜ਼ਰੇ
ਕਿਉਂ ਕਿ ਜਿੰਦਗੀ ਨਹੀ ਰਹਿੰਦੀ,
ਪਰ ਕੁਝ ਚੰਗੀਆਂ ਯਾਦਾਂ ਹੀ ਰਹਿ ਜਾਂਦੀਆ ਨੇ.