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नही थी मेरे हाथों में उसे पाने की लकीर
चीर दिया पूरा हाथ एक लकीर बनाने के लिए



सुना है, शहर में ज़ख़्मी दिलो का मेला है,
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चलो हम भी कुछ गम अपने पेश करते है.

*फिर उड़ गयी नींद ये सोच कर……*
*सरहद पर बहा वो खून मेरी नींद के लिए था…..!!

ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन,
बेहद ही करीब से गुजर कर बिछड़ गया कोई !!


*जिन्दगी में ‘कुछ’ चीजे भुलाई नही जा सकती*
*मेरी जिन्दगी में सब ‘कुछ’ सिर्फ तुम ही हो*

उनकी ना खाता थी हम ही गलत समझ बैठे दोस्तो
वो मोहब्बत से बात करते थे और हम मोहब्बत ही समझ बैठे


बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है.!!*
*बाकी तो मैं भी बहुत खुश हूँ आजकल.


अगर आँसूं बहा लेने से यादे बह जाती
तो तेरी कसम एक ही दिन में हम तेरी याद मिटा देते

दर्द तो ऐसे पीछे पड़ा है मेरे,*
*जैसे मैं उसकी पहली मोहब्बत हूँ !!*

किताबें भी पढ़ने का शौक़ नहीं था हमें,
और इस इश्क़ ने आँखें पढ़ना सिखा दिया !!