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बताओ ज़रा कौन सी बहार ले आया है जनवरी
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सब कहते थे बड़ा वीरान है दिसंबर..!!



मौहब्बत की मिसाल में,बस इतना ही कहूँगा ।
बेमिसाल सज़ा है,किसी बेगुनाह के लिए ।

जीते जी एक ख्वाब नजर में रह गया,
प्यार किया जिससे वो हमसे बेखबर रह गया

इन्तज़ार के लम्हे भी कितने अजीब होते हैं…
सीने की जगह आँखों में दिल धड़कता है !!


शायद हम ने जिंदगी की कीमत को जाना ही नहीं,
वरना किसी के लिए खुद को बर्बाद नहीं करते..

सांसों के सिलसिले को ना दो ज़िन्दगी का नाम,
जीने के बावजूद भी मर जाते हैं कुछ लोग !!


भुला के मुझको, अगर आप भी हो सलामत,…
तो भुला के मुझको, सम्भालना मुझे भी आता हैं !


कुछ पतंगें तो मैंने यहीं सोचकर काट दी यारों…
कि उन्हें बेचकर चौराहे पर खड़े ग़रीब का पेट तो भरेगा !!!

तुम्हारे एक लम्हें पर भी मेरा हक नही
ना जाने तुम किस हक़ से मेरे हर लम्हें मैं शामिल हो

ख़ुबसूरत था इस क़दर के महसूस ना हुआ,,,,,,,,
कैसे कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया