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जमाना कहता है रात को नींद अच्छी आती है,
मेरी नींदों में तो तेरी यादें ही शोर मचाती है !!



हम तो बिछडे थे तुमको अपना अहसास दिलाने के लिए,
मगर तुमने तो मेरे बिना जीना ही सिख लिया।

ना जाने इस ज़िद का नतीज़ा क्या होगा..
समझता दिल भी नहीँ वो भी नहीँ मैँ भी नहीँ..

वो वक्त गुजर गया जब मुझे तेरी मोहब्बत की आरझू थी,
अब तू खुदा भी बन जाये तो में तेरा सजदा ना करू..


हम ने भी कह दिया उनसे की बहुत हो गयी जंग बस..
बस ए मोहब्बत तुझे फ़तेह मुबारक मेरी शिक्स्त हुई।

चलता रहूँगा मै पथ पर, चलने में माहिर बन जाउंगा,
या तो मंज़िल मिल जायेगी, या मुसाफिर बन जाउंगा !


कभी झुकने की तमन्ना कभी कड़वा लहजा
अपनी उलझी हुयी आदतों पे रोना आया


अच्छी ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीके है जो पसन्द है उसे हासिल कर लो
या फिर जो हासिल है उसे पसन्द करना सीख लो…!!

बिछड़ों को मिलाते मिलाते न जाने किसकी नज़र लग गयी,
की आज हमें मिलाने वाला कोई नहीं है।

मेरे जख्मी दिल को छुआ ना करो…
मरजाने दो मुझको जीने की दुआ ना करो…